शमशेर सिंह बिष्ट (Shamsher Singh Bisht)
(माताः स्व. चन्द्रा देवी , पिताः स्व. गोविन्द सिंह बिष्ट)
जन्मतिथि : 4 फरवरी 1947
जन्म स्थान : अल्मोड़ा
पैतृक गाँव : खटलगांव (स्याल्दे) जिला : अल्मोड़ा
वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 2 पुत्र
शिक्षा : पीएच.डी.
प्राथमिक शिक्षा- प्राइमरी पाठशाला, नृसिंह बाड़ी
हाईस्कूल, इण्टर- रा.इ.का. कालेज, अल्मोड़ा बी.ए., एम.ए., बी.एड., एल.एल.बी.- कु. वि. वि. अल्मोड़ा
जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः 1974 में अस्कोट से आराकोट की 45 दिन की पदयात्रा ने पहाड़ में बने रहने का मन बना दिया। इसीलिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छोड़ कर पहाड़ लौट आया।
प्रमुख उपलब्धियाँ : पहाड़ में रहकर जनआंदोलन व चेतना को बढ़ाने का कार्य आरम्भ किया। सन 1974 से 78 तक वन आंदोलन (चिपको) में सक्रिय रहे और लगातार जेल जाते रहे। 1978 में नैनीताल अग्नि कांड और तवाघाट व गंगोत्री भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में आंदोलन चलाया जिसके कारण स्थानीय लोगों को तराई में जमीन मिली। 1984 में नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन चला, परिणामस्वरूप आबकारी नीति में परिवर्तन। पहाड़ में चले स्थानीय आंदोलनों से जुड़े रहे। टिहरी बांध के विरोध में चले आंदोलन में भी शामिल रहे। 1994 के उत्तराखण्ड आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। 1978 से उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी के अध्यक्ष। अब वह उत्तराखण्ड लोक वाहिनी के नाम से जानी जाती है।
युवाओं के नाम संदेशः अब हम पहाड़ी से उत्तराखण्डी बन गए हैं। यह पहचान उत्तराखण्ड के आम लोगों के संघर्षों से मिली है। हमें गर्व होना चाहिए कि हम उत्तराखण्डी हैं। उत्तराखण्ड संस्कृति, चेतना व प्राकृतिक रूप से धनी है। हमें यह विश्वास होना चाहिए कि राजनीति से लेकर संस्कृति के क्षेत्र तक हम देश को नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं। पहाड़ को ऐसे युवकों की आवश्यकता है जो आधुनिक होते हुए भी अपनी जमीन से जुड़े रहें।
विशेषज्ञता : सामाजिक आन्दोलन, संगठन, पत्रकारिता.
नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।
Sir, I agree with you. Without infrastructure Uttarakhand state can’t survive. I want send a Note on Gairsain Region with some details. Please send me e-mail address for detailed note and information and suggestion for development of hilly region of uttarakhand- K.S.RAWAT